वरांग चिति वर्णमाला के अंत में एक अक्षर है ' षुः' । इस अक्षर का उच्चारण इस किताब में दी गई तलिका में देवनागरी के 'ष' के समान बताया गया है । लेकिन गौरतलब यह है कि 'हो' भाषा में 'ष' (जिसे फोनेटिक्स की भाषा में 'voiceless retroflex fricative' कहते हैं) या 'श' (जिसे फोनेटिक्स की भाषा में 'voiceless palatal fricative' कहते हैं) की ध्वनि नहीं पाई जाती है । 'हो' भाषा में केवल एक fricative ध्वनि पाई जाती है 'स' (voiceless alveolar fricative), जो कि सरजोम , सकोम , सा-सा , जैसे शब्दों में पाई जाती है । यहां तक कि उस अक्षर का नाम, 'षुः' जिस 'हो' शब्द से लिया गया है, उसका उच्चारण 'सुः' है, न कि 'षुः' । हो भाषा से संबंधित दूसरी भाषाएं, जैसे कि संताली और मुंडारी में भी केवल 'स' की ध्वनि पाई जाती है । ओल चिकि में भी 'ष' या 'श' के लिए कोई अक्षर नहीं है । 1915 में लियोनल बरोस द्वारा लिखी गई पुस्तक Ho Grammar (with Vocabulary) में कहीं पर भ